हरिद्वार मनसा देवी मंदिर भगदड़: 6 की मौत और 28 घायल – विशेष रिपोर्ट

उत्तराखंड के धार्मिक शहर हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर देश के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन 27 जुलाई 2025 का दिन इस मंदिर के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। भीषण भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 28 से अधिक लोग घायल हुए। इस त्रासदी ने एक बार फिर तीर्थस्थलों पर भीड़ प्रबंधन की गंभीर कमी को उजागर किया।

GujaratiHelp.com इस लेख में आपको इस हादसे की पूरी जानकारी, कारण, प्रशासनिक लापरवाही, और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपायों के बारे में बताएगा।


हादसा कैसे हुआ?

27 जुलाई की सुबह श्रावण मास का विशेष पर्व होने के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई थी। अनुमान के मुताबिक, मंदिर और सीढ़ियों पर एक समय में लगभग 5000 लोग मौजूद थे।

घटना की शुरुआत एक अफवाह से हुई। मंदिर की सीढ़ियों पर एक श्रद्धालु फिसलकर गिर गया और उसके हाथ में पकड़ी रस्सी अचानक नीचे गिरी। भीड़ में मौजूद लोगों ने इसे बिजली के तार के गिरने का भ्रम समझ लिया। तुरंत अफवाह फैल गई कि बिजली का करंट फैल रहा है, जिससे लोग घबरा गए और भागने लगे।

संकरी सीढ़ियों और तेज ढलान के कारण लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए। कई लोग कुचल गए और कुछ लोगों की जान तुरंत चली गई।


मृतकों और घायलों की जानकारी

  • इस भगदड़ में 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई।
  • मरने वालों में 3 महिलाएं, 2 पुरुष और 1 बच्चा शामिल था।
  • लगभग 28 से 30 लोग घायल हुए, जिनमें से कई को गंभीर चोटें आईं।
  • घायलों को पास के सरकारी अस्पताल और कुछ को ऋषिकेश स्थित बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मृतकों में ज्यादातर श्रद्धालु उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए हुए थे।


परिवारों का दर्द

हादसे के बाद अस्पतालों और शवगृह के बाहर हृदय विदारक दृश्य देखने को मिले। कई परिवार रोते-बिलखते अपने परिजनों की तलाश में भटकते नजर आए।

एक महिला ने रोते हुए कहा –
“मेरे पति मुझे दर्शन करवाने लाए थे, लेकिन अब वह मुझे अकेला छोड़कर चले गए।”


सरकारी प्रतिक्रिया और मुआवजा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता की घोषणा की।

प्रधानमंत्री ने भी ट्वीट कर घटना पर शोक व्यक्त किया और कहा कि घायलों का इलाज सरकार की तरफ से मुफ्त कराया जाएगा।


प्रशासन की लापरवाही पर सवाल

इस हादसे ने प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए हैं।

  • इतने बड़े तीर्थस्थल पर भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिसकर्मी तैनात नहीं थे
  • श्रावण मास जैसे त्योहार पर पहले से भीड़ की तैयारी नहीं की गई थी।
  • मंदिर की ओर जाने वाले संकरे रास्तों में कोई बैरिकेडिंग या उचित दिशा-निर्देश नहीं थे।
  • अफवाहों को तुरंत रोकने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग नहीं किया गया।

भीड़ प्रबंधन की कमी – प्रमुख कारण

  1. अत्यधिक भीड़ – एक साथ हजारों लोगों का जमा होना।
  2. संकरी सीढ़ियाँ – मंदिर तक जाने का रास्ता बहुत संकरा है।
  3. आपातकालीन निकास का अभाव – भगदड़ की स्थिति में लोग बाहर निकल नहीं पाए।
  4. अफवाहों पर तुरंत नियंत्रण का अभाव – करंट की अफवाह ने लोगों को डराने का काम किया।

भविष्य के लिए जरूरी कदम

GujaratiHelp.com के अनुसार, ऐसे हादसों को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं –

1. भीड़ नियंत्रण की आधुनिक व्यवस्था

  • CCTV कैमरे, ड्रोन और डिजिटल स्क्रीन के जरिए भीड़ की निगरानी की जाए।
  • बैरिकेडिंग और प्रवेश/निकास के अलग-अलग रास्ते बनाए जाएं।

2. अफवाहों पर तुरंत कार्रवाई

  • पब्लिक एड्रेस सिस्टम और आपातकालीन अलर्ट सिस्टम सक्रिय किया जाए।

3. आपातकालीन बचाव दल

  • प्रत्येक बड़े मंदिर में फायर ब्रिगेड, एम्बुलेंस और रेस्क्यू टीम की स्थायी व्यवस्था हो।

4. अवैध अतिक्रमण हटाना

  • मंदिर मार्ग पर बनी अवैध दुकानों और अस्थायी ढांचों को हटाना चाहिए, जिससे रास्ता चौड़ा हो सके।

5. नियमित सुरक्षा ऑडिट

  • बड़े तीर्थस्थलों पर हर 6 महीने में सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य होना चाहिए।

श्रद्धालुओं के लिए जागरूकता संदेश

  • भीड़ में धैर्य बनाए रखें और धक्का-मुक्की से बचें।
  • अफवाहों पर तुरंत भरोसा न करें और प्रशासन की बातों को सुनें।
  • आपातकालीन स्थिति में पास के निकास द्वार का उपयोग करें।

निष्कर्ष

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई यह भीषण भगदड़ केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सुरक्षा व्यवस्थाओं की बड़ी नाकामी का उदाहरण है। धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की अनदेखी मासूम लोगों की जान ले रही है।

GujaratiHelp.com का मानना है कि जब तक प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और आम लोग मिलकर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगे, तब तक ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे। हमें श्रद्धा के साथ-साथ सतर्कता और व्यवस्था को भी उतना ही महत्व देना होगा।


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